विश्व सिनेमा की जैसी व्यापकता है वैसे ही भारतीय
सिनेमा जगत् भी व्यापक और विस्तृत है। आशियाई देशों में बहुत बड़ा और ताकतवर देश के
नाते भारत की पहचान बनती गई। इस पहचान के बनते-बनते भारत विज्ञान, कृषि, उद्योग
आदि क्षेत्रों में उठता गया। कलकत्ता, मुंबई, दिल्ली, मद्रास जैसे बड़े शहर और
विकसित होते गए और इन शहरों में भारतीय जनमानस के लिए रोजगार के कई नवीन मार्ग
खुलने लगे। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के कई केंद्र बनते गए और उसमें मुंबई हॉलीवुड़
की धरातल पर बॉलीवुड़ के नाते उभरता गया। अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों में भी
फिल्म इंडस्ट्री का विकास हुआ था परंतु वे शहर अपने राज्य की भाषा में बनती
फिल्मों के विकास में जुटते गए और इधर मुंबई के भौगोलिक परिदृश्य और भारत की
आर्थिक राजधानी के पहचान बनने के कारण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को मुंबई से ही
पहचान मिलने लगी। न केवल हिंदी और मराठी तो अन्य भाषाओं को भी भारतीय मंच पर
प्रदर्शित करने का केंद्र मुंबई बनता गया। आज आधुनिक तकनीक और ऑड़ियो रूपांतरण के
कारण क्षेत्रीय भाषाओं के कलाकारों और तकनीशियनों के लिए बॉलीवुड़ के दरवाजे खुल
चुके हैं। तकनीक के चलते देशीय और क्षेत्रीय सीमाएं धुंधली पड़ती गई। जैसे भारत में
फिल्म इंडस्ट्री ने भाषाई सीमाओं को तार-तार किया वैसे ही वैश्विक स्तर पर देशीय
सीमाएं तार-तार हो गई और भारत के किसी भी भाषा में काम करनेवाले व्यक्ति के लिए
विश्व सिनेमा के दरवाजे खुलते गए। वैसे ही विश्व सिनेमा भी भारतीय सिनेमा के तेजी
से बढ़ते कदमों से चकित हुआ। यहां तक कि विश्व सिनेमा के मंच पर धूम मचानेवाले
कलाकारों के मन में भारतीय फिल्मों में काम करने की इच्छा पैदा होने लगी। दुनिया
के ताकतवर फिल्म इंडस्ट्रियों में बॉलीवुड़ की गिनती होती है। इसकी व्यावसायिकता और
कलात्मक सफलता को देखकर दुनियाभर के फिल्मी जानकार बॉलीवुड़ की सराहना करते थकते
नहीं है। व्यावसायिक नजरिए से हॉलीवुड़ को टक्कर देने का दमखम भारतीय सिनेमा रखता
है। व्यावसायिक तथा कलात्मक नजरिए से विश्व मंच पर भारतीय सिनेमा और क्रिकेट की
दुनिया ने बड़ी तेजी से मजबूती के साथ कदम रखे हैं। दुनिया में आज एक साल के भीतर
लगभग 1,000 हजार फिल्में बनानेवाली कोई और इंडस्ट्री नहीं है। दिनों के हिसाब से
सोच लें तो एक दिन के लिए तीन फिल्में बनना हमें भी चौंका देता है। अनेक भाषाओं के
बहाने भारत में फिल्म इंडस्ट्री के भीतर कई लोग नसीब अजमाने के लिए आते हैं। इस ओर
उठता प्रत्येक कदम भारतीय सिनेमा के मजबूती का कारण भी बनता है। संपूर्ण आलेख पढने के लिए 'अपनी माटी' ई-पत्रिका की लिंक दे रहा हूं - भारतीय सिनेमा का आरंभ http://www.apnimaati.com/2016/08/blog-post_39.html
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