विवेकी राय का समर शेष है
विवेकी राय की पहली प्रकाशित पुस्तक ‘अर्गला’ (1951) कविता संग्रह है। परिस्थितिवश कविता के बीच से उपजता गद्य लेखक आगे बढ़ते हुए हिंदी साहित्य की अमूल्य सेवा करता है। पत्रकार और अध्यापक रहे विवेकी राय का अनुभव जगत् अभिव्यक्ति पाकर हिंदी साहित्य में साकार हो उठा है। भोजपुरी के प्रति विशेष प्रेम होने के कारण उस भाषा में भी उन्होंने कई किताबों का सृजन किया है। गांव उनका आत्मीय रहा है। अतः उन्होंने गांव की गलियों में घूमते हुए विषयों को उठाकर एक से बढ़कर एक साहित्यिक कृतियों की निर्मिति की है। आगे पढ़ें: रचनाकार: विजय शिंदे का आलेख - विवेकी राय का समर शेष है