फिल्म के निर्माण की
अनेक महत्त्वपूर्ण कड़ियों में से दो अहं कड़ियां हैं - कॅमरा और संवाद। यह दोनों
कड़िया अलग-अलग है, अतः यहां पर इनका स्वतंत्र विवेचन भी जरूरी है। कॅमरा तकनीकी
कला है और संवाद सृजन प्रक्रिया के साथ जुड़नेवाली कला है। संवादों के माध्यम से
कहानी को कथात्मक रूप से संवादात्मक और नाटकीय रूप प्राप्त होता है, जिसका उपयोग
अभिनय के दौरान होता है। कॅमरा एक यंत्र है, परंतु उसकी सहायता से कॅमरामन ऐसी
तस्वीरों को खिंचता है जो जीवंत होकर परदे पर धूम मचाती है। संवादों के साथ
प्रत्येक हलचल को अपने भीतर समेटता कॅमरा दर्शकों की तीसरी आंख बनकर उभरता है।
फिल्मों की व्यावसायिक और कलात्मक सफलता भी तस्वीरों की सूक्ष्मताओं और संवाद के
आकर्षक होने पर निर्भर होती है।
फिल्म में कॅमरा का काम शूट किए जा रहे प्रत्येक
दृश्य को दृश्यांकित करना होता है। इसे चलाने के लिए निपुण और कुशल कॅमरामन की
जरूरत होती है। कॅमरा का आधुनिक तकनीक से लदे होना, विशिष्ट एंगल के तहत चलना और
कॅमरामन का कार्य निर्देशक की सूचनाओं का पालन करते हुए उनके मन में उठती तस्वीर
को साकार रूप देना है। पिछले पाठ में लिखा है कि दुनिया में बहुत अच्छे निर्देशकों
ने फिल्मी दुनिया में अपनी आरंभिक शुरुआत कॅमरामन से की है। उसका कारण यह है कि
कॅमरामन आधा दर्शक और आधा निर्देशक बनकर अपनी सोच को आगे बढ़ाता है और तस्वीरों को
विविध कोणों से खिंचने की कोशिश करता है। दुनिया में कॅमरा (सिनेमॅटोग्राफी) इस
मशिन ने ही फिल्म निर्माण की प्रेरणा दी है। यहीं वह यंत्र है जो लेखक या पटकथा
लेखक की कहानी को, छोटे-छोटे दृश्य, घटनाओं और प्रसंगों को पुरजों मे इकठ्ठा करता
है। आगे चलकर वहीं पुरजें संपादकों के टेबल पर विविध प्रक्रियाओं के तहत संपादित
होते हैं, जुड़ते हैं, विविध जगहों से कट होते हैं और ढाई-तीन घंटे की एक फिल्मी
कहानी में उतरते हैं। आजकल बाजार में विविध प्रकार के बहुत अच्छे और कम कीमत में
कॅमरे मिल जाते हैं जो दृश्यों को शूट करने का काम कर सकते हैं। लोगों के पास
मोबाईल है और मोबाईल में भी अच्छे पिक्सल के कॅमरे बिठाए जाते हैं, जो फोटो तो
खिंचते ही है साथ ही ऐसे कई दृश्यों को शूट कर सकते हैं जो एक फिल्म का रूप देने
में सक्षम होते हैं। हां उसकी स्तरीयता और पिक्चर कॉलिटी कमजोर हो सकती है परंतु
यह ध्यान रहे कि आरंभिक दौर में केवल हिलती-डूलती तस्वीरों को देखने के लिए लोगों
की भीड़ उमड़ पड़ती थी। 'फिल्मों में कॅमरा का महत्त्व' आलेख 'रचनाकार' के दिसंबर वाले अंक में प्रकाशित हुआ है। आगे पढने के लिए इस लिंक को क्लिक करें -फिल्मों में कॅमरा का महत्त्व
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