मंगलवार, 17 मार्च 2020

विवेकी राय के साहित्य में नारी शिक्षा


भारत प्रगतिशील देश है और अब उसके प्रगति की गति तेज हुई है। सामाजिक जीवन में शिक्षा ही अकेला ऐसा मार्ग है जो प्रत्येक व्यक्ति को सफलता के रास्तों पर लेकर जा सकता है। स्त्रियां भी समाज का अंग है, अतः उन्हें भी जिंदगी में सफल बनना है, स्वाभिमानी जीवन जीना है तो शिक्षित होकर आत्मनिर्भर होना पेगा। उनकी इस प्रकार की आत्मनिर्भरता एक प्रकार से पूराने सामजिक ढांचे के लिए चुनौती होगी लेकिन व्यापक समाजहित को ध्यान में रखते हुए ऐसी चुनौती देना पेगा। पुरुषों की एकाधिकारशाही, गलत विचार प्रणाली और गंदी सोच को चुनौती देना अब आवश्यक बना है। विवेकी राय के साहित्य में स्त्रियों के वैचारिक परिवर्तन और शिक्षित बनने की प्रक्रिया के आरंभिक दिनों का वर्णन है, जो सभ्यता, संस्कृति, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की मांग को उजागर करता है।
समाज के दो हिस्सों में आधे पुरुष और आधी नारियां रहती है। लेकिन आज भी पुरुष प्रधान व्यवस्था ने उसे इतना महत्त्व नहीं दिया जितना देना चाहिए था। उसके प्रति परंपरागत दृष्टि से देखा और सोचा जाता है। अगर सामाजिक विकास में परिपूर्णता लानी है तो नारी को शिक्षा के साथ अन्य अधिकारों में भी समानता का हकदार बनाना चाहिए। घर में तो उसे प्रतिष्ठित किया जाता हैं किंतु समाज में नहीं। स्त्रियों के शील संरक्षण के लिए परदा प्रथा और घर से बाहर न निकलना जैसे नियम बनाए गए। आज वैसी स्थिति नहीं है फिर भी नारी के प्रति पुरुष की दृष्टि अभी भी बदली नहीं है।
समाजहित इसी में है कि नारी की पूनर्प्रतिष्ठा करें। ‘‘नारी को भवतारिणी कहा गया है, जो उचित ही है। पुरुष को अपनी जीवन नौका को  इस भवसागर से पार करने के लिए स्त्री-रूपी दांड की आवश्यकता अपरिहार्य है।’’1 पुरुष की जन्मदात्री और सहधर्मिनी वही है। अतः उसे शिक्षित बनाने या प्रतिष्ठित करने में उसे नहीं तो पुरुष के लिए ही लाभदायी है। पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाने के लिए उसका शिक्षित होना नितांत जरूरी है। उसे न केवल शिक्षा में बल्कि सामाजिक व्यवस्था में प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। विवेकी राय ने नारी की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षित, अर्द्धशिक्षित और अशिक्षित स्त्रियों का चित्रण करते हुए शिक्षा व्यवस्था और नारी के परस्पर संबंध पर प्रकाश डाला है। संपूर्ण आलेख पढने के लिए 'अपनी माटी' के शिक्षा विशेषांक की इस लिंक को क्लिक करें - विवेकी राय के साहित्य में नारी शिक्षा

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