शंकर पाटिल की मराठी कहानी - जीत
आगे पढ़ें: रचनाकार: शंकर पाटिल की मराठी कहानी - जीत http://www.rachanakar.org/2013/04/blog-post_8.html#ixzz2PslxvWMp प्रस्तुत कहानी का अनुवाद विचार वीथी मासिक ई-पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ है पाठकों के लिए उसकी लिंक है - विचार वीथी: जीत
21 टिप्पणियां:
बहुत ही प्रेरणाप्रद कहानी। एक बैल के माध्यम से मानवीय संवेदना का सुन्दर वर्णन।
विकास जी तत्काल कहानी पढ कर उत्तर देने के लिए आभार। महाराष्ट्रीय संस्कृति, मेलों और पर्वों में बैलगाडियों की दौड के लिए अत्यंत महत्त्व है। शंकर पाटिल मिट्टी से जुडे हुए है नतिजन कहानी संवेदनामयी बनी है। शुभरात्रि।
बहुत ही मार्मिक संवेदनामयी कहानी,आभार.
बेहद सशक्त एवं मार्मिक कहानी....
अनु
mere comments kahan gaye ?
डॉ. निशा जी प्रणाम। आपका ई-मेल प्राप्त हुआ। धन्यवाद।
आपने पुछा है, 'मेरे कमेंट कहां गए?' शायद मुझे लगता आपने 'जीत' कहानी पर जो टिप्पणी की है वह रचनाकार में की होगी उसे वहां पर दिखने में एकाध दिन लगता है। आपका ई-मेल 9 अप्रैल 2013 9:57 pm को पोस्ट हुआ है ; अगर इसके आस पास आपने टिप्पणी की है तो शाम तक दिखने लगेगी।
आपका आभार इसलिए कि टिप्पणी करने की सूचना दे दी। मैं भी आपकी या अन्यों की रचनाएं पढता हूं तो टिप्पणी करने के बाद दिखे अपेक्षा रहती है। साथ ही उस टिप्पणी के बाद लेखक की क्या प्रतिक्रिया रही है इसका भी बेसब्री से इंतजार करता हूं। हमारी और आपकी साहित्यिक चर्चा आगे भी जारी रहेगी यहीं अपेक्षा।
संवेदना की अंतिम तह तक जाती कहानी
सार्थक और सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
मार्मिक ओर हृदय्स्पर्शीय ... लेखनी बाँधे रही अंत तक ...
मानवीय संवेदनाएं लिए अच्छी कहानी ...
एक ह्रदय स्पर्शी कहानी. मानवीय संवेदनाएं प्रभावित करती हैं.
आभार .
शिखा जी आप ब्रिटन में रह कर अपनी भूमि के साथ जुडी है और यहाम की संवेदनाओं अपना मानती है आपके मन का बड्डपन है। हमारा अपका सहित्यिक जुडाव बना रहेगा।
ज्योति खरे जी हम ब्लॉग के माध्यम से जुड चुके हैं और आगे भी हमारा आपका साहित्यिक आदान प्रदान बना रहेगा कहानी पसंद आई आभार।
दिगंबर जी लेखनी बांधे रखने की क्षमता शंकर पाटिल जी में मैं बस अनुवादक बन आप तक पहुंचा हूं। टिप्पणी के लिए आभार।
बहुत मार्मिक कहानी एक साँस में पढ़ डाला
बहुत ही सशक्त, मार्मिक और प्रेरणाप्रद कहानी
ह्रदय स्पर्शी कहानी.....अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी भवनाओं से जुडकर....
@ संजय भास्कर
हरियाणा
मूल मराठी कहानी का अनुवाद 'जीत' अत्यन्त बढ़िया कहानी है। कहानी में बैल के भीतर मानव की कोमल भावनाओं को दर्शाया गया है।जो पाठकों के लिये प्रेरक है। धीरे-धीरे आप के लेखन कार्य को पढ़्ने की कोशिश करूँगी।
विजय जी, मैं ब्लोग के क्षेत्र में नयी हूँ। अतः आप से अनुरोध है कि जरा मेरे ब्लोग http://www.Unwarat.com' पर भी समय निकाल कर जाइये | कहानी वा लेख पढ़ने के बाद अपने विचार अवश्य व्यक्त कीजियेगा। मुझे अच्छा लगेगा।
विन्नी,
http://www.unwarat.com/
बहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण कहानी | पढ़कर संवेदनाएं जागृत हो गई | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
मार्मिक कहानी
तेरे मन में राम [श्री अनूप जलोटा ]
एक ह्रदय स्पर्शी कहानी.
आभार।
आशा है, भविष्य में इसी प्रकार मर्मस्पर्शी रचनाएं पढवाते रहेंगे।
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